lundi 5 septembre 2011

पैगाम-1


मेरा नाम लहरी बाई है, उम्र अभी 29 वर्ष, जिस्म मांसल और गदराया हुआ है। मेरा जिस्म थोड़ा भारी है पर मैं मोटी नहीं हूँ। पुरुषों में मैं एक आकर्षण का केन्द्र हमेशा से रही हूँ। मैं एक पतिव्रता स्त्री हूँ, रोज सवेरे जब मेरे पति हरि प्रसाद पूजा करके उठते हैं तो मैं उनकी पूजा करती हूँ। मेरे पति राज्य सरकार में अधिशासी अभियन्ता है। घर से पूजा पाठ करके कार्यालय में रिश्वत लेना, कमीशन लेना, सभी कार्य वे कुशलतापूर्वक करते हैं। हमारे घर में लक्ष्मी पांव पसारे जमी हुई है। मेरे पड़ोसी जो मेरे देवर के ही समान हैं, गंगा प्रसाद एक जाने माने डॉक्टर हैं, उनकी भी ऊपरी कमाई बहुत है, बस मुझसे कोई तीन साल छोटे हैं। गुलाबी, मेरी नाईन है, मेरे गांव की ही है, मुझसे पांच सात साल बड़ी है, मेरी मालिश करती है और मेरी हमराज भी है।

मैं इन्हें देवर ही कहती हूँ। मेरे देवर गंगा की निगाहें मुझ पर जमी रहती थी, शायद मेरे सेक्सी रूप का वो दीवाना था। उसकी निगाहें मेरे वक्ष की तरफ़ अधिक रहती थी। यूँ तो मेरी गाण्ड भी खासी आकर्षक उसे लगती थी, पर बेचारा वो मजबूर था, कि कैसे कुछ करे।












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