कॉलेज में मेरी गर्लफ्रेंड बनी सोफिया। लड़की क्या थी बस ऐसा लगता था कि चुदाई के लिए ही बनो हो। गोल-गोल पुष्ट 38 इन्च के मम्मे, सुडौल भरे-भरे नितम्ब, जिन्हें देख कर दिल करता था कि अभी अपना लंड निकाल के रगड़ दो। हमारा प्यार होंठ चूसने से शुरू होकर मम्मे दबाने और जांघें सहलाने तक पहुँच चुका था मगर कोई जगह न मिलने के कारण हमें इतने में ही गुज़ारा करना पड़ता था। कभी कभी तो हम दोनों इतने गर्म हो जाते थे कि दिल करता था कि कार ही में कर डालूं। वो भी बहुत चुदासी हो जाती थी और "सी-सी" कर के मेरे लंड को रगड़ने लगती थी।
एक दिन मेरे घर में कोई नहीं था, तो मैंने सोचा कि क्यों न उसे अपने घर बुलाने का रिस्क उठाया जाये। सच में अब रहा नहीं जा रहा था। चूत तो उसकी भी गर्म थी तो उसने हामी भर दी। हम अपने दिमाग से नहीं अपनी टांगों के बीच से सोच रहे थे। redmore>>
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