lundi 5 septembre 2011

Report a Problem जब मैं जिगोलो बना-1

अन्तर्वासना पढ़ने वाले सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरी पहले की कहानियों के लिए कई लोगों ने मुझको मेल करके प्रोत्साहित किया, उसके लिए मैं आपका धन्यवाद देता हूँ। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मैं आप लोगो को अपने जीवन की एक और कहानी बताना चाहता हूँ और आशा करता हूँ आपको यह कहानी पसंद आएगी।

मैं अपनी नौकरी के कारण चड़ीगढ़ आ गया। मैं यहाँ नया था कोई मुझको नहीं जानता था ना ही मैं किसी को। मैंने एक बहुत ही अच्छी कालोनी में एक कमरा लिया और रहने लगा। मेरे मकान-मालिक बहुत अच्छे थे और मेरा ध्यान भी रखते थे। मैं भी उनके कुछ काम कर देता था। हमारी कालोनी में बहुत बड़े बड़े लोग रहते थे। बहुत सुंदर लड़कियाँ भी थी जिनको देख कर ही मेरा मन उनको चोदने का करता था। बहुत दिन हो गए थे किसी लड़की को चोदे हुए। जब से यहाँ आया था, घर भी नहीं जा पाया था नहीं तो वहीं पुराने माल को चोद लेता। बस मुठ मार कर ही काम चलाना पड़ता था।

मेरी अपने मकान-मालिक से बहुत अच्छी बनती थी। उनके यहाँ केवल अंकल और आंटी ही थे। उनके बच्चे बाहर रहते थे। मैं रविवार को कालोनी की लड़कियों को देखता और मुठ मारता रहता। यह सिलसिला दो महीनों तक चलता रहा।

एक दिन आंटी ने मुझे आवाज दी।

मैं उनके पास गया तो वो बोली- पड़ोस के गुप्ता जी के पास मेरा एक पैकिट है, वो ले आ।

मैंने कहा- ठीक है, मैं ले आता हूँ ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

और पड़ोस के गुप्ता जी के यहाँ चल दिया। गुप्ता जी का घर हमारे घर से 4-5 मकान छोड़ कर था। मैंने वहाँ पहुँच कर दरवाज़े पर घण्टी बजाई। थोड़ी देर में दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़की ने दरवाजा खोला है। मैंने उस लड़की को कई बार कालोनी में शाम को घूमते देखा था और कई बार उसको याद करके मुठ भी मारी थी। वो गुप्ता जी लड़की थी जो एक बड़ी कंपनी में काम करती थी। उसकी उम्र यही कोई 22 साल के आस-पास होगी। उसने सफ़ेद स्कर्ट और कसा टॉप पहन रखा था, रंग एकदम दूध जैसा गोरा, क्या मजाल कि एक भी दाग हो।

मैंने उसको इतने पास से पहली बार देखा था तो मेरी नज़रें उसपर से हट ही नहीं रही थी।

तभी एक मीठी सी आवाज़ मेरे कान में पड़ी। उस लड़की ने पूछा- बताईये क्या काम है?

मैंने जवाब दिया- दीदी मैं सिंह अंकल के यहाँ रहता हूँ और आंटी ने अपना एक पैकिट लेने के लिए यहाँ भेजा है !

उसने कहा- मैं जानती हूँ, मैंने कई बार तुमको अंकल और आंटी के साथ देखा है। अंदर आ जाओ !

मैं अंदर चला गया तो वो बोली- मम्मी थोड़ी देर के लिए बाहर गई हैं, अभी आती होगी। तुम चाहो तो इन्तज़ार कर लो ! वो अभी आती ही होंगी।

मैंने कहा- ठीक है, मैं बाहर इन्तज़ार कर लेता हूँ !

तो वो बोली- बाहर क्यों, यहीं बैठ जाओ, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ !

मैं तो यही चाह रहा था ताकि उसको ज्यादा देर तक देख सकूँ तो वहीं सोफे पर बैठ गया। वो रसोई में चली गई जो सामने ही थी। थोड़ी देर में वो पानी लेकर आई और मुझको दिया। फिर वो भी वही बैठ गई और टी वी देखने लगी। मैं भी टी वी देखने लगा।

बातों ही बातों उसने बताया कि वो यहीं एक कंपनी में अच्छी पोस्ट पर काम करती है। मैं उसकी बातें कम सुन रहा था और उसके शरीर को चोर नजरों से ज्यादा देख रहा था।

फिर वो टी वी का रिमोट मुझे देकर बोली- तुम टी वी देखो, मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ।

मैंने मना किया पर वो रसोई की तरफ चल दी। मैं उसके पीछे का शरीर देख रहा था। क्या नितम्ब थे उसके ! बिल्कुल गोल-गोल और कसी हुई स्कर्ट में वो और भी सुंदर लग रहे थे। उसकी कमर कोई 26 के आस-पास होगी। मेरी नजरों से देखें तो वो सर्वोत्तम फ़ीगर थी।

मैं रिमोट से चैनल बदलने लगा तभी एक चैनल पर व्यस्क-फिल्म आ रही थी। मैंने टी वी की आवाज़ कम कर दी और फिल्म देखने लगा। टी वी के बगल में ही सामने रसोई थी जहाँ वो चाय बना रही थी। मैं कभी टी वी पर फ़िल्म देखता तो कभी मेरी नज़रें रसोई में काम करती उस लड़की की छोटी स्कर्ट के नीचे उसकी गोरी टांगों पर चली जाती। मैं दूर से ही उस लड़की की जवानी का रस ले रहा था।

थोड़ी देर में वो चाय बना कर ले आई और एक कप मेरी तरफ बढ़ा कर और एक कप खुद लेकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई। तब तक मैंने चैनल बदल कर समाचार लगा दिए थे। वो मेरे सामने बैठी थी। तभी मेरी नज़र उसकी छोटी स्कर्ट के अंदर उसकी दोनों टांगों के बीच में उसकी काले रंग की पैंटी पर पड़ी जो उसकी दोनों टांगो के बीच से दिख रही थी पर शायद उसको पता नहीं था। मेरी हालत ख़राब होने लगी लंड पैंट में टाईट होने लगा। मैं चाह कर भी अपनी नज़र वहाँ से हटा नहीं पा रहा था। उसके टॉप का ऊपर का एक बटन भी खुला था जहाँ से उसकी काले रंग की ब्रा का कुछ हिस्सा दिख रहा था। मैं बेकाबू हो रहा था पर डर भी था।

तभी फ़ोन की घंटी बजी और वो फ़ोन सुनने चली गई। थोड़ी देर बाद वो वापस वहीं आ कर बैठ गई। वो एक किताब उठा कर पढ़ने लगी और बीच बीच में मुझसे बात भी करने लगी। अबकी बार उसकी टांगें थोड़ी ज्यादा चौड़ी थी और मुझको उसकी पैंटी दिख रही थी मैं वहीं पर नज़र लगाये बैठा था और उसकी बातों का जवाब दे रहा था। कब वो मुझको देखने लगी मुझको पता ही नहीं चला।

उसने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो?

और अपनी टांगें मोड़ कर बैठ गई।

मैं घबरा गया, मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी !

वो उठी और मेरे पास मेरे वाले सोफे पर आकर बैठ गई, वो मेरे बहुत करीब बैठी थी, मैं उसके जिस्म की खुशबू महसूस कर रहा था। क्या खुशबू थी दोस्तो ! वो मुझको दीवाना बना रही थी। मैं ही जानता हूँ कि मैं कैसे अपने पर काबू कर रहा था।

उसने मेरे हाथ से रिमोट लिया और स्वैप का बटन दबा दिया। उस दूसरे चैनल पर व्यस्क फ़िल्म में सेक्स सीन आ रहा था।

वो बोली- तो भाईसाहब यह देख रहे थे !

तो मैंने कहा- नहीं शायद गलती से लग गया है।

मैं बहुत ही घबरा गया था।

वो मेरे और पास आई और बोली- एक बात बताओ, क्या मैं इस एक्ट्रेस से कम सेक्सी हूँ?












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